धर्म और संप्रदाय इंसान को इतना संकीर्ण बना देता है कि मानवता का तार-तार
होते रहने पर भी लोगों को इसका तनिक ऐहसास नहीं होता है। समभाव के आदर्शों को आगे
रख कर बड़े ही सूक्ष्मता से मानव समुदाय के बीच विभेद सृजन करना और सत्ता हासिल
करना इसका उद्देश्य रहा है।
किसी भी महापुरुष के विचार जब तक कर्म में लाये जाने के लिए हैं, खतरा नहीं है। लेकिन जैसे ही विचारों की जगह विचारों की किताबों और विचार देने वाले की पूजा शुरू होती है, जब उनपर बात करने से लोगों की भावनाएं आहत होने लगती हैं, तब से वह मानवता के लिए खतरा बनना शुरू हो जाता है।
हर धर्म की एक ही कहानी |
बुद्ध इन पाखंड विचारों के खिलाफ लोगों में चेतना
जगाया था। आगे चल कर तर्कसंगत विचारों का वर्चस्वधारीयों द्वारा गला घोंटा गया।
व्यापक नरसंहार संगठित की गई। अंततः बुद्ध के विचारों के साथ अंधविश्वासों के
घालमेल कर उसकी मौलिकता को नष्ट कर दिया गया। आज का बौद्ध धर्म और धर्मों की तरह धंधेबाजों
की दुकान है। बौद्ध लोग और भीखू भी म्यानमार, श्रीलंका आदि देशों में हिंसा कर रहे हैं।
मानवता को तार तार करने वाला हरकत धर्म के हर आंगन में मिल जायेंगे।
– अरुनान्शु बनर्जी